दिल्ली। गुरुवार को रामलीला मैदान में ऐतिहासिक समारोह के दौरान पहली बार विधायक रेखा गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही भाजपा के 26 वर्ष बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी के बाद 11 दिनों के रहस्य का अंत हुआ। आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल के 10 साल के शासन को समाप्त करते हुए भाजपा ने इस साल विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया था।
राज्यपाल
अनिल बैजल ने रेखा गुप्ता
को पद और गोपनीयता
की शपथ दिलाई। इस मौके पर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा
समेत कई वरिष्ठ नेताओं
की उपस्थिति रही। गुप्ता दिल्ली की पहली महिला
मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन पहली बार विधायक बनने के तुरंत बाद
यह ज़िम्मेदारी मिलना उल्लेखनीय माना जा रहा है।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "मैं दिल्लीवासियों के विश्वास पर
खरी उतरने के लिए प्रतिबद्ध
हूँ। विकास और सुशासन हमारी
प्राथमिकता होगी।"
गुप्ता
के अलावा, पश्चिमी दिल्ली से सांसद रहे
परवेश वर्मा और दक्षिणी दिल्ली
के युवा नेता आशीष सूद सहित छह अन्य नेताओं
ने मंत्री पद की शपथ
ली। भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा, "यह
टीम जनता की अपेक्षाओं को
पूरा करेगी।"
इस
शपथ समारोह में कई वरिष्ठ भाजपा
नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों
ने हिस्सा लिया। समारोह के दौरान केंद्रीय
गृह मंत्री अमित
शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा
, और दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र
सचदेवा जैसे नेता मौजूद रहे। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी और पूर्व दिल्ली
भाजपा अध्यक्ष मनोज
तिवारी भी समारोह में
शामिल हुए। राज्यपाल अनिल
बैजल ने
मुख्यमंत्री और मंत्रियों को
शपथ दिलाई।
इस शपथ
समारोह
में
कुछ विशेष विषय
और
प्रतीकात्मक
प्रमुख संदेश
सुशासन
और विकास पर ज़ोर : नई
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन
में "सुशासन, महिला सुरक्षा, और बुनियादी ढाँचे
के विकास" को प्राथमिकता बताया।
उन्होंने दिल्ली को एक "स्मार्ट
और समावेशी राजधानी" बनाने का संकल्प दोहराया।
भाजपा
की वापसी का संदेश: 26 साल
बाद दिल्ली में भाजपा की सत्ता में
वापसी को समारोह के
दौरान बार-बार रेखांकित किया गया। केंद्रीय नेताओं ने इसे "जनादेश
की जीत" और "आप के भ्रष्ट
शासन का अंत" बताया।
युवाओं
और नए चेहरों पर
भरोसा : रेखा गुप्ता के साथ-साथ
कैबिनेट में युवा नेता आशीष सूद जैसे नए चेहरों को
शामिल कर भाजपा ने
"नई पीढ़ी को अवसर" देने
का संकेत दिया।
राष्ट्रवादी
प्रतीकों का उपयोग : समारोह
स्थल रामलीला मैदान में भगवा रंग की पृष्ठभूमि, "सबका साथ,
सबका विकास" के नारे, और
राष्ट्रीय ध्वज के प्रतीकों को
प्रमुखता से दिखाया गया।
महिला
सशक्तिकरण : एक महिला को
मुख्यमंत्री पद मिलने पर
भाजपा नेता ने
इसे "नारी शक्ति" की उपलब्धि बताते
हुए समारोह में महिला कार्यकर्ताओं की भागीदारी को
विशेष तौर पर आमंत्रित किया
था।
एकजुटता
का प्रदर्शन: केंद्रीय
मंत्रियों से लेकर पूर्व
नेताओं तक की मौजूदगी
के ज़रिए भाजपा ने पार्टी की
आंतरिक एकता और केंद्र-राज्य
के तालमेल का संदेश दिया।
विपक्ष
की प्रतिक्रिया: आप और कांग्रेस
ने इस समारोह को
"दिखावटी" बताया और कहा कि
भाजपा ने अनुभवहीन नेतृत्व
को थोपकर दिल्ली के मुद्दों से
ध्यान भटकाने की कोशिश की
है।
इस
प्रकार, यह समारोह नीतिगत
एजेंडे से ज़्यादा, राजनीतिक
रूप से भाजपा के
"नए दिल्ली" के विजन को
स्थापित करने का मंच बना
रहा।
भाजपा
ने इस साल 66 में
से 48 सीटें जीतकर दिल्ली में शानदार वापसी की है। विश्लेषकों
के मुताबिक, नई सरकार के
सामने प्रदूषण, स्वास्थ्य और यातायात जैसे
मुद्दों पर त्वरित कार्यवाही
की चुनौती होगी।