महाकुंभ 2025: आस्था और डिजिटल तकनीक का अनोखा संगम

 

इंटरनेट पर इन दिनों एक अनोखा वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें दीपक गोयल नाम का व्यक्ति एक अनूठे स्टार्टअप के बारे में बात कर रहा है। यह स्टार्टअप प्रयागराज महाकुंभ 2025 में चलाया जा रहा है, जो उन लोगों के लिए खास है जो किसी कारणवश कुंभ में आकर संगम स्नान नहीं कर सकते।

दीपक गोयल ने एक ऐसी अनोखी डिजिटल सेवा शुरू की है, जिससे आप घर बैठे ही महाकुंभ में डुबकी लगा सकते हैं! इस प्रक्रिया को उन्होंने "डिजिटल स्नान" नाम दिया है। इसके लिए सिर्फ़ ₹1100 प्रति व्यक्ति शुल्क रखा गया है।

हर कोई पैसे कमाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाता है। कोई नौकरी करता है, तो कोई बिजनेस। इसी बीच, सोशल मीडिया पर एक अनोखा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें प्रयागराज महाकुंभ 2025 से जुड़ा एक नया ट्रेंड सामने आया है। 

महाकुंभ में देश-विदेश से आए श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, लेकिन जो लोग किसी कारणवश इस मेले में शामिल नहीं हो सकते, उनके लिए एक स्थानीय व्यक्ति ने नई पहल शुरू की है। वीडियो में दिखाया गया है कि यह व्यक्ति लोगों को डिजिटल स्नान  करवाने की पेशकश कर रहा है। इसके लिए इच्छुक लोग अपनी तस्वीर उसे व्हाट्सऐप पर भेज सकते हैं, जिसे वह संगम में प्रतीकात्मक रूप से डुबोकर स्नान करवाता है। 

इस अनोखी सेवा की कीमत  ₹1100 प्रति व्यक्ति  रखी गई है। कहा जा रहा है कि यह सेवा उन श्रद्धालुओं के लिए खासतौर पर फायदेमंद है जो किसी कारणवश प्रयागराज नहीं सकते। यह वीडियो इंस्टाग्राम हैंडल @echo_vibes2 से 19 फरवरी को शेयर किया गया था, जिसके बाद यह तेजी से वायरल हो गया। 

क्या यह डिजिटल स्नान वास्तविक स्नान की जगह ले सकता है? यह सवाल अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग इसे एक अनोखा विचार मान रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि असली स्नान का महत्व डिजिटल तरीके से नहीं बदला जा सकता। 

डिजिटल डुबकी का अनुभव लेने के लिए आपको बस ये करना होगा:

- अपनी एक फ़ोटो दीपक गोयल को भेजनी होगी।

- वह फ़ोटो को प्रिंट करवाकर, उसे प्रयागराज में गंगा नदी में स्नान करवाएंगे।

- इसके बाद आपको डिजिटल प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा कि आपने महाकुंभ में स्नान कर लिया है।

यह स्टार्टअप लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग इसे एक अनोखा विचार मान रहे हैं, जो तकनीक और परंपरा का मिश्रण है, जबकि कुछ का मानना है कि असल स्नान का महत्व डिजिटल डुबकी से कम नहीं किया जा सकता।

यह स्टार्टअप एक बात साफ करता है कि तकनीक और आस्था का संगम अब नए तरीके से हो रहा है। डिजिटल युग में यह पहल उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो किसी कारणवश महाकुंभ का हिस्सा नहीं बन सकते।

चाहे डिजिटल हो या असली, आस्था का कोई रूप मायने नहीं रखता, बल्कि आपके मन की श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण होती है।

 

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