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Reporter by -Priya Magarrati
बड़ी अदालत में आज का दिन खास है। वे अडानी-हिंडनबर्ग मामले के बारे में बात कर रहे हैं। उन्होंने इससे पहले 12 मई को इस बारे में बात की थी और कुछ लोगों ने जांच के लिए और समय मांगा था। लेकिन जज ने कहा कि उन्हें शायद इतने समय की जरूरत नहीं है।
अदालत ने छह लोगों का एक समूह बनाया जो किसी चीज को देखेगा और दो महीने में अपने विचार देगा। उन्होंने 8 मई को अपने विचार दिए, लेकिन अदालत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे इसे सप्ताहांत में पढ़ेंगे।
अडानी और हिंडनबर्ग से जुड़े एक कानूनी मामले में चार लोगों ने पर्चा दाखिल किया। इनके नाम एमएल शर्मा, विशाल तिवारी, जया ठाकुर और मुकेश कुमार हैं। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 15 मई को सुनवाई होगी। इससे पहले 12 मई को एक और बैठक हुई थी, जिसमें सेबी ने जांच के लिए छह महीने और मांगे थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि छह महीने बहुत लंबा है.
कोर्ट ने छह लोगों के एक समूह को किसी चीज पर गौर करने और अपने विचार देने को कहा। उन्होंने ऐसा किया और अदालत को एक रिपोर्ट दी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे सप्ताहांत में रिपोर्ट देखेंगे।
चार लोगों ने अदानी-हिंडनबर्ग मामले को देखने के लिए अदालत से अनुरोध किया। वे एडवोकेट एम.एल. शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश कुमार शामिल हैं। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा, और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला।
अदालत ने सेबी को अपना काम पूरा करने के लिए और समय दिया, लेकिन केवल तीन और महीनों के लिए। जज ने कहा कि उनके पास छह महीने और नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें जल्दी खत्म करने की जरूरत है। सेबी को अगस्त के मध्य तक अपनी जांच पूरी करने और अदालत को यह बताने की जरूरत है कि उन्होंने क्या पाया। उसके बाद, अदालत तय करेगी कि सेबी के पास और समय हो सकता है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट नामक महत्वपूर्ण लोगों के एक समूह ने 2 मार्च को एक काम करने के लिए छह लोगों की एक टीम बनाई। टीम का नेतृत्व सप्रे नाम के एक व्यक्ति ने किया और इसमें अन्य महत्वपूर्ण लोग जैसे न्यायमूर्ति देवधर, भट्ट, कामथ, नीलेकणि और सुंदरसन शामिल थे। . सुप्रीम कोर्ट के जज चंद्रचूड़, नरसिम्हा और परदीवाला ने उन्हें यह काम करने को कहा।
सेबी कमेटी के अलावा दो चीजों पर गौर कर रहा है।क्या लोगों ने ऐसे काम करके नियम तोड़े जिससे शेयरों की कीमत ऊपर या नीचे चली गई? नियम 19(ए) एक ऐसा नियम है जो बताता है कि कंपनी के कितने शेयर उन लोगों के पास होने चाहिए जो कंपनी का हिस्सा नहीं हैं। भारत में कानून कहता है कि कंपनी के कम से कम 25% शेयरों का स्वामित्व जनता के पास होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि वे लोग जो कंपनी के लिए काम नहीं कर रहे हैं।