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Reporter by -Priya Magarrati
आज के दौर में समलैंगिकता समाज के अलग-अलग वर्गों में से एक है जिस पर समाज की नजर हमेशा से अलग रही है। इसी समलैंगिक समुदाय के सदस्यों को उनकी पसंद के साथ रहने के लिए अपने रिश्ते को कानूनी तौर पर मान्यता दिलाने के लिए 20 कपल ने अमेरिका में समलैंगिक विवाह के लिए एक कानूनी लड़ाई लड़ी। इन 20 कपलों में से एक भीम रावत और नानी पार्कर ने भी शामिल थे, जिन्होंने अमेरिकी इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वर्ष 2015 के मध्य तक, समलैंगिक विवाह सिर्फ 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कानूनी तौर पर मान्य था। अन्य राज्यों में यह मान्यता नहीं थी जिसके कारण समलैंगिक जोड़े अपने रिश्ते को कानूनी तौर पर स्थापित नहीं कर पाते थे। यह एक बड़ी समस्या थी जो समलैंगिक समुदाय के सदस्यों को अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं रखने देती थी।
भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग अब सुप्रीम कोर्ट के सामने है। 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने के बाद, कुछ कपलों ने इस मुद्दे को उठाया और भारत के अलग-अलग कोर्ट में लगभग 20 याचिकाएं दायर की गई हैं।
इन कपलों का मानना है कि हर व्यक्ति को शादी करने और परिवार के साथ सामान्य जीवन जीने का हक होता है, और इसी हक को उन्हें भी मिलना चाहिए। इस समस्या को हल करने के लिए, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग की है।
भारत के समलैंगिक समुदाय में यह मांग काफी समर्थित है। इसे समर्थन देने वाले लोगों का मानना है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से, समलैंगिक लोगों को समान अधिकार दिए जाने का संदेश जायेगा।
यह मुद्दा अनेक वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच एक विवादित मुद्दा है। हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला लिया है।
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में चौथे दिन सुनवाई शुरू हो गई है. CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच हाईब्रिड मोड में सुनवाई कर रही है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा कोर्ट रूम में मौजूद हैं। इस बीच, न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति एस.आर. बैट घर से वर्चुअली कनेक्ट होता है।